दीपोत्सव व्यर्थ नहीं, आत्मगौरव का पुनर्जन्म है — इशिका तनेजा
अखिलेश के बयान पर बोलीं — जो अयोध्या का तप नहीं समझते, वे दीप की महिमा क्या जानें
योगी आदित्यनाथ को बताया धर्मसेवक, कहा — उनके नेतृत्व में धर्म और राजनीति का समरस मेल
पवन सचदेवा
ब्यूरो चीफ
दिल्ली एनसीआर
नई दिल्ली/लखनऊ। अयोध्या का दीपोत्सव इस बार केवल पर्व नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की चेतना का पुनर्जागरण बन गया। 26 लाख दीपों से प्रकाशित सरयू तट पर जब मिस वर्ल्ड टूरिज्म और गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक इशिका तनेजा ने माता सीता का रूप धारण किया, तो पूरा अयोध्या नगरी भक्ति और गर्व से आलोकित हो उठी।




इशिका तनेजा, जिन्हें समाज में सनातन प्रचारिका और महिला गुरुकुल संस्थापक के रूप में जाना जाता है, ने मंच से कहा —
“सीता माता बनना मेरे लिए अभिनय नहीं, ध्यान था। हर दीप में मैंने धर्म की जीत और योगी आदित्यनाथ जी की राष्ट्र नीति की ज्योति देखी।”
उन्होंने योगी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी केवल प्रशासक नहीं, एक धर्मसेवक हैं, जिन्होंने दिखाया कि जब धर्म और राजनीति साथ चलते हैं, तब रामराज्य साकार होता है।


दीपोत्सव ने जहाँ विश्व की निगाहें अयोध्या पर टिकाईं, वहीं हजारों कुम्हारों, महिलाओं और स्थानीय व्यापारियों के जीवन में भी उजाला भर दिया।
इशिका ने कहा —
“दीपोत्सव खर्च नहीं, आजीविका और आत्मगौरव का पुनर्जन्म है।”
वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दीपोत्सव को “पैसे की बर्बादी” बताने पर इशिका ने तीखा लेकिन संयमित जवाब दिया —


“जो दीपोत्सव को व्यर्थ कहते हैं, वे शायद उस तप और आँसू को नहीं समझते जो हमने अयोध्या के लिए बहाए हैं। यह भूमि सदियों से इस प्रकाश की प्रतीक्षा कर रही थी। दीपोत्सव व्यय नहीं, प्रायश्चित और पुनर्जन्म है।”
अयोध्या में जनता के बीच यह चर्चा रही कि योगी आदित्यनाथ द्वारा इशिका तनेजा को सीता माता की भूमिका देना पूरी तरह सार्थक निर्णय था — क्योंकि आज की युवा पीढ़ी में वह धर्म, सौंदर्य और शक्ति का संगम हैं।
एक श्रद्धालु के शब्दों में —


“जब इशिका जैसी सच्ची प्रचारिका सीता को जीती हैं, तब हर हृदय में आस्था का दीप जल उठता है।”…पवन सचदेवा










Total Users : 89632
Total views : 1205209