पवन सचदेवा
टेलीग्राम संवाद, हिसार।ओशो ध्यान उपवन, हिसार में चल रहे ध्यान शिविर में साधकों को प्रतिदिन नयी-नयी आध्यात्मिक विधियों से परिचित कराया जा रहा है। इस शिविर का संचालन सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और माँ अमृत प्रिया जी सहित कई आचार्यों द्वारा किया जा रहा है।

सुबह के सत्र में स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने करीब 75 साधकों के साथ सूर्योदय से पूर्व जंगल में विशेष चक्रमण ध्यान कराया। यह ध्यान पद्धति भगवान बुद्ध द्वारा अपने भिक्षुओं को सिखाई गई प्राचीन विधि पर आधारित थी। साधकों ने चलते हुए श्वास की लय से कदम मिलाए—चार कदम में श्वास लेना और छह कदम में श्वास छोड़ना। इस अभ्यास से साधकों का मन शांत हुआ और वे सहज ही ध्यान में उतर गए। इसके बाद वृक्षों की छाया में आसन, प्राणायाम और ओंकार नाद श्रवण कराया गया। स्वामी जी ने बताया कि विज्ञान भैरव तंत्र में 112 ध्यान विधियां वर्णित हैं, जिनमें से 12 विधियां अनाहत नाद पर आधारित हैं और ओंकार नाद साधक को समाधि की ओर ले जाता है।

दूसरे सत्र में माँ अमृत प्रिया जी ने साधकों को विज्ञान भैरव तंत्र की श्वास विधि का अभ्यास कराया। उन्होंने समझाया—
“जब श्वास भीतर से बाहर और बाहर से भीतर मुड़ती है, उन क्षणों पर सजग रहने से आत्मज्ञान प्राप्त होता है।”
माँ ने पाँच चरणों में यह अभ्यास कराया—झुककर श्वास लेना-छोड़ना, हाथों की गति को श्वास से जोड़ना और अंत में केवल श्वास के मोड़ों पर सजग बने रहना। साधकों ने इसे गहन शांति और मौन का अद्भुत अनुभव बताया।

शिविर में प्रतिदिन पाँच ध्यान प्रयोग कराए जा रहे हैं। शाम के सत्र भक्तिभाव से ओतप्रोत रहते हैं। लगभग 80 साधक-साधिकाएँ इस शिविर में भाग ले रही हैं और अपने अनुभव साझा कर रही हैं कि उन्हें साधना से आत्मिक शांति और गहन आनंद मिल रहा है।
यह ध्यान शिविर रविवार तक चलेगा। रविवार को सुबह 7 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक विशेष अर्धदिवसीय ध्यान शिविर का आयोजन होगा, जिसमें शहर के अन्य इच्छुक साधक भी शामिल हो सकेंगे। इस अवसर पर स्वामी संजय, माँ प्रेम सांची, स्वामी चंद्रशेखर, स्वामी चैतन्य सागर और स्वामी नरेंद्र भाटिया भी ध्यान संचालन में योगदान देंगे।












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