टेलीग्राम संवाद
बरेली। भारतीय खाद्य निगम द्वारा संचालित खाद्यान्न गोदाम पर गेहूं में पानी मिलने चावल में अन्य वस्तुएं मिलना आम बात है। इस बार तो हद हो गई रसुइया गोदाम पर गेहूं में पानी मिलावट नहीं हो पाई तो उसका उठान भी नहीं हुआ।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली तहत रविवार 26 अक्टूबर सुबह रसुइया गोदाम से खाद्यान्न उठान होना था। दीपावली अवकाश होने से इस बार गोदाम में भंडारित गेहूं में पानी छिड़काव नहीं हो पाया। पानी छिड़काव गेहूं में वजन बढ़ाने हेतु किया जाता है। यानी घटतौली का एक नया तरीका है। इसके बदले जो गेहूं बचता है उसे खुले बाजार में गोदाम प्रभारी बेच देता है। इसकी जानकारी इसकी जानकारी भारतीय खाद्य निगम और उत्तर प्रदेश खाद्य विभाग बखूबी रखना है लेकिन कभी भी सैंपल नहीं लिए जाते हैं कोटेदार द्वारा शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है घटिया खाद्यान्न सामग्री गरीबों में वितरित कर दी जाती है अगर कोई आवाज उठाता है तो कागजी खाना पूर्ति कर दी जाती है। गरीबों को वितरित होने वाले खाद्यान्न में मिलावट करने में भारतीय खाद्य निगम सबसे आगे है इसके अलावा उसके गोदाम में गेहूं में पानी मिलाना एक आम बात है।

उत्तर प्रदेश खाद्य विभाग ने गोदाम से खाद्यान्न उठाकर कोटेदार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अपनी विभिन्न एजेंसियों को सौंप रखी है। इसकी निगरानी संभागीय खाद या खाद्य विभाग करता है। कई बार सैंपल लिए घटिया खाद्यान्न लैब में फेल हुआ फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगले माह गरीबों में वितरित होने वाला खाद्यान्न निर्धारित सारणी अनुसार नहीं उठ पाया। गोदाम से खाद्यान्न उठान रविवार 26 अक्टूबर से प्रस्तावित था। बताया जाता है गेहूं में पानी छिड़काव होने के बाद भारतीय खाद्य निगम अपने गोदाम से खाद्यान्न उठवाएगा। घोटाले से परिचित अधिकारी फिलहाल मौन हैं।
इस संदर्भ में भारतीय खाद्य निगम क्षेत्रीय प्रबंधक से फोन पर संपर्क किया गया तब उन्होंने रिसीव नहीं किया बताया जाता है कि वह फोन उठाने में कंजूसी करते हैं।









Total Users : 89632
Total views : 1205209