खुशखबरी: मिठाई, ड्राई फ्रूट्स, गिफ्ट हैम्पर खरीद पर लें बिल, पाएं इनाम

आर.बी. लाल

टेलीग्राम संवाद, बरेली। पांच दिन तक चलने वाला दीपावली त्योहार पर मिठाई, ड्राई फ्रूट्स, गिफ्ट हैम्पर आदि कुछ ज्यादा ही बिकता है। त्योहारी खरीदारी पूरे अक्टूबर माह चलेगी। ज्यादातर ग्राहक बिल नहीं मांगते हैं। इसकी आड़ में दुकानदार बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी कर लेते हैं। इस बार तेजतर्रार प्रमुख सचिव एम. देवराज ने एक आदेश जारी कर है कहा कि त्योहार पर खरीदारी करने वाले ग्राहक पक्का बिल अवश्य लें और उसमें अपना मोबाइल संपर्क नंबर लिखवाये। यह बिल निर्धारित फोन नंबर पर व्हाट्सएप करें तो इनाम मिलेगा।

प्रमुख सचिव एम. देवराज

प्रमुख सचिव ने परिपत्र में कहा है, व्हाट्सएप पर प्राप्त बिलों के आधार पर लाटरी निकाली जायेगी और विजेता उपभोक्ताओं को इनाम दिया जायेगा। परिपत्र मिलते ही संबंधित सिस्टम सक्रिय हो गया है।

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 बरेली क्षेत्र एचपी राव दीक्षित ने पिछले दिनों मिठाई, ड्राई फ्रूट्स कारोबारियों से बैठक कर दिशा निर्देश दिया था। उन्होंने कहा टैक्स चोरी बर्दाश्त नहीं होगी। दुकानों पर चलने वाला प्लास्टिक मनी टोकन बिल मान्य नहीं होगा। पक्का बिल दिया जाए। उन्होंने ग्राहकों से भी आग्रह किया था कि वे दुकानदार से बिल अवश्य ले।

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बरेली। पीलीभीत जिला में धन्नीताल स्थित पुत्तन आतिशबाज दुकान पर गुरुवार सुबह राज्य कर विभाग ने छापा मारा, जिसमें टैक्स चोरी का मामला मिला। व्यवसायी फर्म ने 2.5 करोड़ रुपये के पटाखों की खरीद की थी, लेकिन बिक्री मात्र 1.5 करोड़ रुपये ही दर्शाई गई। जीएसटी में गड़बड़ी का संकेत मिला। टीम ने मौके पर ही 10 लाख रुपये कर के रूप में जमा कराए हैं। जांच अभी भी जारी है। विभाग ने नोटिस जारी किया है।

राज्य कर अपर आयुक्त एचपी राव दीक्षित ने बताया कि जीएसटी एसआईबी रेंज बी टीम ने पुत्तन आतिशबाज प्रतिष्ठान की जांच हुई। डाटा विश्लेषण में सामने आया कि पिछले वर्षों में व्यापारी ने 2.15 करोड़ रुपये से अधिक के पटाखों की खरीद की थी, लेकिन बिक्री सिर्फ 1.2 करोड़ रुपये ही दर्ज की गई थी। कर के रूप में महज 17 हजार रुपये जमा किए गए, जबकि बकाया कर का समायोजन इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) से किया गया। टीम को दुकान में लगभग 10 लाख रुपये के पटाखों का स्टॉक मिला, जबकि रिकॉर्ड में इसके बारे में सही जानकारी नहीं दी गई थी।
स्थानीय निर्माताओं से बिना पक्के बिल की खरीदारी जांच में यह भी पता चला कि व्यापारी बिना पक्के बिल के स्थानीय, गैर-पंजीकृत पटाखा निर्माताओं से माल खरीद रहा था और इस माल की बिक्री भी कच्चे बिलों पर की जा रही थी। पोर्टल पर एक करोड़ रुपये की बिक्री दिखाई गई थी, लेकिन मौके पर केवल 10 लाख रुपये का ही स्टॉक मिला।

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