ओशो आनंदमय जीवनशैली साधना शिविर लगा

पवन सचदेवा

टेलीग्राम संवाद, सोनीपत, हरियाणा । स्थित श्री रजनीश ध्यान मंदिर में जीवन शैली रूपांतरण साधना शिविर हुआ। शिविर में विभिन्न राज्यों से करीब 70 साधक पहुंचे।
प्रथम सत्र: स्वामी शैलेंद्र जी ने पहले सत्र में जीवन की अशांति और दुख के मूल कारणों पर गहन विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि हम जिन बातों को दुख का कारण मानते हैं, वे वास्तव में केवल बाहरी निमित्त होते हैं। कुछ प्रमुख कारण जो उन्होंने बताए, वे इस प्रकार हैं:

1. अभावग्रस्त दृष्टि (Scarcity Mindset):
व्यक्ति को लगता है कि उसके पास कभी भी पर्याप्त नहीं है। यह दृष्टिकोण जीवन में असंतोष और मानसिक अशांति का स्रोत बनता है।

2. नकारात्मकता पर ध्यान (Focus on Negative Aspects):
जब व्यक्ति अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं को नजरअंदाज कर केवल नकारात्मक पक्षों पर ध्यान देता है, तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे जीवन में दुख और तनाव आता है।

3. भयजनक अनुमान (Fearful Assumptions):
किसी भी स्थिति के बारे में बुरे और डरावने अनुमान व्यक्ति की मानसिक शांति को खत्म कर देते हैं। ये अनुमान वास्तविकता पर आधारित न होते हुए भी मन को अशांत कर देते हैं।
द्वितीय सत्र: स्वामी मस्तो बाबा जी ने दूसरे सत्र में इन बाहरी निमित्तों के बारे में बताया, जिनके कारण व्यक्ति को दुख का अनुभव होता है:

4. संबंधों में समस्याएं:
पारिवारिक, मित्र या प्रेम संबंधों में मतभेद या दूरी मानसिक अशांति का कारण बनती है।

5. नकारात्मक विचार:
जब व्यक्ति बार-बार नकारात्मक विचारों में उलझता है, तो यह उसके मानसिक और भावनात्मक संतुलन को प्रभावित करता है।

6. उच्च अपेक्षाएं (High Expectations):
व्यक्ति जब अपने आप से या दूसरों से अत्यधिक अपेक्षाएं रखता है और वे पूरी नहीं होतीं, तो वह निराशा का अनुभव करता है।

7. क्रोध (Anger):
क्रोध व्यक्ति के मन को तुरंत अस्थिर कर देता है, जिससे उसकी मानसिक और शारीरिक शांति भंग होती है।
आगे के सत्रों में: मां अमृत प्रिया जी और मां मोक्ष संगीता जी ने जीवन को आनंदमय बनाने के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया और सहभागियों के जीवन की दुखद घटनाओं का मनोविश्लेषण किया। उन्होंने निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

8. मोह (Attachment):
किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति के प्रति अत्यधिक मोह व्यक्ति को मानसिक बंधन में डाल देता है, जिससे अशांति और पीड़ा उत्पन्न होती है।

9. अहंकार (Ego):
स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने का अहंकार व्यक्ति को अलगाव में डालता है। जब उसका अहंकार चोटिल होता है, तो वह भीतर से कमजोर और अशांत महसूस करता है।

10. भय (Fear):
अज्ञात या भविष्य की अनिश्चितताओं का भय व्यक्ति के मानसिक संतुलन को प्रभावित करता है और उसके आत्मविश्वास को कमजोर करता है।

11. आत्मज्ञान की कमी (Lack of Self-Realization):
आत्मज्ञान न होने पर व्यक्ति बाहरी चीजों में शांति और सुख खोजता है, जो उसे अंततः निराशा की ओर ले जाता है। आत्मज्ञान की कमी व्यक्ति को भ्रमित और मानसिक रूप से अशांत कर देती है।

यह शिविर जीवन को गहनता से समझने और आनंदमय जीवन शैली की ओर कदम बढ़ाने का एक अवसर प्रदान किया।

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