एसआरएमएस रिद्धिमा में नाटक दोषी कौन में प्रतियोगी परीक्षार्थियों की आत्महत्या के कारणों की तलाश
आर.बी. लाल
टेलीग्राम संवाद, बरेली। एसआरएमएस रिद्धिमा प्रेक्षागृह में रविवार शाम डा. प्रभाकर गुप्ता और अश्वनी कुमार द्वारा लिखित और विनायक श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नाटक “दोषी कौन” मंचन हुआ। नाटक शुरू होता है योगेश के घर से, जिसमें उज्ज्वल सो रहा है और उसको उठाने के लिए योगेश की पत्नी सरिता आती है। योगेश सरिता को बताता है कि आज उज्ज्वल का हाई स्कूल का रिजल्ट आने वाला है वो उसे उठा दे। उज्ज्वल के हाई स्कूल में अस्सी परसेंट मार्क्स आये हैं। योगेश को ये मार्क्स कम लगते हैं। वो उज्ज्वल पर नाराज होता है और चला जाता है। अगले दृश्य में योगेश अखबार पढ़ता रहा है और बच्चों के आत्महत्या की प्रवृत्ति पर नाराज हो रहा है। वह सरिता से बोलता है आजकल की जेनरेशन में प्रेशर झेलने की क्षमता नहीं है। जरा जरा सी बात में आत्महत्या कर लेते हैं, जबकि सारा खर्च पैरेंट्स उठाते हैं। बच्चों को तो सिर्फ पढ़ना है।
योगेश उज्ज्वल को हाई प्रोफाइल कोचिंग सेंटर एचिवर्स में भेजने के लिए बात करता है। कोचिंग सेंटर में रिशेपनिस्ट बताती है कि कोचिंग में इंजीनियरिंग तैयारी साथ साथ 11 और 12 की पढ़ाई भी उसी के पैरलर डमी स्कूल में होगी। उज्ज्वल अपनी मम्मी से कहता है की उसे एचीवर कोचिंग में नहीं जाना वो इसी शहर में प्रिपरेशन कर लेगा, लेकिन योगेश अपने रिश्तेदारों और अपने दोस्तों के बच्चों से तुलना करता है, जिनके बच्चों के 97 परसेंट से ऊपर नंबर आये और जो दिल्ली और त्रिची में हाई प्रोफाइल इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे हैं। जबकि उसका बेटा उज्ज्वल इतने कम परसेंटेज लेकर समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा। इसके बाद उज्ज्वल एचिवर्स कोचिंग सेंटर जाता है। वहां उसकी मुलाकात मनीष नाम के स्टूडेंट से होती है। मनीष बहुत ब्रिलिएंट स्टूडेंट है। उज्ज्वल को सपने में भी अपने पिता योगेश की डांट सुनाई पड़ती रहती है।
एचिवर्स मालिक सौरभ सोलंकी और उसका असिस्टेंट पवन परमार से पता चलता है कि कोचिंग में जो स्टूडेंट हैं वो मात्र उनके लिए कमाई का साधन है। सौरभ कहता है हम गधों को घोड़ा नहीं बना सकते। अभिभावक से आगे आने वाले सेशन की फीस मांगता है। उसे फर्क नहीं पड़ता कोई स्टूडेंट पढ़ रहा है या नहीं। हॉस्टल में मनीष को उज्ज्वल की एक डायरी मिलती है, जिसमें उज्ज्वल ने कविता और शायरी लिखी है। वो मनीष को शायरी सुनाते सुनाते रो पड़ता है वो शायर बनना चाहता है उसे इंजीनियरिंग की तैयारी नहीं हो पा रही। वो साहित्यकार बनना चाहता है। उज्ज्वल को उस दिन भी अपने पापा की आवाज सुनाई देती है, तुम नालायक हो, तुम फिसड्डी हो। तुम लूज़र हो। उज्ज्वल इन सब बातों से डिप्रेस होकर आत्महत्या कर लेता है। हॉस्टल में मां- बाप जाते और बहुत दुखी होकर पश्चाताप कर रोते हैं। इसके बाद नाटक में टीवी डिबेट चलती है, जिसमें आत्महत्या के आकड़ों को बताते हुए चर्चा होती है।
इस चर्चा में एचीवर के मालिक सौरभ सोलंकी समाजसेवी नीलेश विज और मनोचिकित्सक डॉ. दीपक शर्मा और टीवी एंकर दामिनी दुबे शामिल है। डिबेट में सब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते हैं , वहीं सौरभ सोलंकी कहता है उसकी जिम्मेदारी सिर्फ पढ़ाने की है। स्टूडेंट क्या कर रहा है उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं है। समाजसेवी नीलेश विज सौरभ को दोषी ठहराते है कि तुम इतनी मोटी फीस लेते हो तो ज़िम्मेदारी तुम्हारी है। जबकि डा. दीपक बच्चों के मां-बाप को दोषी ठहराया है कि वो बच्चों की इच्छा को जाने बगैर अपनी राय बच्चों पर थोपते हैं। डिबेट में भी कोई निर्णय नहीं हो पाता कि बच्चों की आत्महत्या का दोषी कौन है? नाटक में योगेश की भूमिका में विनायक श्रीवास्तव, सरिता की भूमिका में क्षमा शुक्ला, उज्ज्वल की भूमिका में जयदेव पटेल ने बेहतरीन अभिनय किया।
सोनालिका सक्सेना (रिसेप्शनिस्ट), गौरव कार्की (मनीष), संजय सक्सेना (सौरभ सोलंकी), शिवम यादव (पवन परमार), आयुषी कुलश्रेष्ठ (टीवी एंकर दामिनी दुबे), मनोज शर्मा (नीलेश विज) ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नाटक में प्रकाश व्यवस्था की जिम्मेदारी रविंदर ने निभाई, जबकि साउंड की हर्ष और जाफर ने। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति, आशा मूर्ति, सुभाष मेहरा, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार और कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।