कारखानों व भवनों में अग्निशमन सुरक्षा संयंत्र जरूरी: अविनाश चंद्र

पुलिस महानिदेशक ने गोष्ठी में अग्निशमन संबंधी दी जानकारी

संकरी सड़क व गली में भी अग्निशमन दल पहुंचेगा

उद्यमियों ने फायर एनओसी संबंधी समस्या भी उठाई, सुझाव भी दिए

आर बी लाल

बरेली, टेलीग्रामहिन्दी। इण्डियन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन बरेली चैप्टर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में औद्योगिक संगठनों से संवाद करते हुएपुलिस महानिदेशक (अग्निशमन व आपात सेवायें) अविनाश चन्द्रा ने अग्निशमन सुरक्षा संबंधी जानकारी विस्तार से दी। उन्होंने कहा कि हर इण्डस्ट्रीज, होटल, अस्पताल, मल्टी स्टोरी व बड़ी बिल्डिगों में आग से निपटने के लिए फायर सेफ्टी संसाधन होना बहुत जरूरी है। जिससे आग से होने वाली घटनाओं ने निपटा जा सके। उन्होंने बताया कि विभाग ने छोटे और दोपहिया वाहनों को राहत-बचाव के लिए तैयार किया गया है।

शुक्रवार दोपहर परसाखेड़ा स्थित बीएल एग्रो सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक (अग्निशमन व आपात सेवायें) अविनाश चन्द्रा ने कहा कि कई बार देखा गया है कि आबादी बीच संकरे रास्तों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां नहीं पहुंच पाती हैं, इससे राहत बचाव कार्य में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। लेकिन अब इससे निपटने के लिए छोटे और दोपहिया वाहन राहत-बचाव कार्य हेतु तैयार किए जा रहे हैं। जो संकरी गलियों में बखूबी आग पर काबू पाने और उसमें फंसने वाले लोग बचाकर अपना योगदान देंगे।

इस मौके पर सीएफओ चंद्रमोहन शर्मा ने बताया कि उनके पास जनपद में सभी तहसील स्तर पर एक-एक फायर स्टेशन स्थापित करने का कार्य चल रहा हैं। वहीं शहर में लोड देखते हुए सिविल लाइंस में फायर स्टेशन के अलावा सीबीगंज में भी एक फायर स्टेशन लगातार अपनी सेवाएं दे रहा है। सीएफओ ने बताया उनके पास कुल 169 फायर फाइटर्स स्टाफ है। जिसे जनपद के सभी सातों फायर स्टेशनों पर तैनात किया गया है। उनका यह स्टाफ चौबीस घंटे तत्पर रहता है।

इण्डियन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन बरेली चैप्टर चेयरमैन तनुज भसीन  ने फायर विभाग से एनओसी प्राप्त करने में आ रही कुछ जाटिलता से अवगत कराया। उन्होंने इस बारे सुझाव दिये। फायर विभाग  एनओसी प्राप्त करने में नेशनल बिल्डिंग कोड (N.B.C) में दिये गये दिशा निर्देश अनुसार सारी बिल्डिंग व शेड बनवाने पड़ते है। जिसमें एक ग्रुप इण्डस्ट्रीज भी है। इसको आगे 03 सब ग्रुप में बांटा गया है जोकि निम्न प्रकार है।

1- Building used for low hazardous industries.
2- Building used for medium hazardous industries.
3- Building used for high hazardous industries.

विभिन्न इण्डस्ट्रीज को उसके काम के अनुसार इसमें श्रेणियो में बांटा गया है और उसमें एनओसी लेने के लिए एनबीआई में दिये गये दिशा निर्देशों का पालन करना होता है। श्री भसीन ने बताया कि इसमें कुछ ऐसे निर्देश है जिनको करने के लिए माइक्रो व स्माल स्कैल इण्डस्ट्रीज में बहुत परेशानी आती है।

1- 12 मीटर सड़क अनिवायर्ता – किसी भी इण्डस्ट्रीज को एनओसी लेने के लिए उसका कम से कम 12 मीटर की रोड़ पर स्थित होना अनिवार्य है। जमीन की उपलब्धता 12 मीटर रोड पर नही है, तो उद्यमी 08 या 09 मीटर की रोड पर उद्यम लगाता है। तो हमारा सुझाव है कि इस प्रावधान को बदलकर 08 या 09 मीटर किया जाना चाहिए।

2– पानी भण्डारण के लिए अन्डर ग्राउण्ड वाटर- पानी की उपलब्घता किसी भी आग पर काबू पाने के लिए अनिवार्य है। इस प्रावधान  अनुसार अलग-अलग इण्डस्ट्रीज श्रेणी के लिए 10000 लीटर से लेकर 1000000 लीटर तक के टैंक को बनाने के लिए (N.B.C)  में दिया गया है। हर इण्डस्ट्रीज वाले को इन टैंक को बनाकर हर वक्त पानी भण्डारण करना है। इसके बहुत नुकसान भी है। माइक्रो और स्माल स्कैल इण्डस्ट्रीज को यह टैंक बनाने के लिए अतिरिक्त जगह चाहिए जो पहले से ही कम है। ज्यादा दिन तक पानी रोक कर रखने से उससे बीमारी फैलने का डर रहता है। इसके अलावा अन्डर ग्राउण्ड वाटर विभाग, ग्राउण्ड वाटर के दोहन पर लगातार नयी-नयी गाइडलाइंस बनाता जा रहा है और उद्यमी को पानी की निकासी पर तरह तरह की रोक व दण्ड का प्रावधान भी है। इन्ही सब समस्याओं के कारण उद्यमी सारे प्रावधान पूरे नही कर पाता है और जाने अनजाने वो एनओसी लेने से वंचित रह जाता है।

श्री भसीन ने बताया कि हमारी संस्था ने विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन किया है और उससे सम्बन्धित यह सुझाव देना चाहती है इण्डस्ट्रीज एरिया में रोड दोनों साइड पर इण्डस्ट्रीज लगी हुयी है। हर 20000 वर्ग मीटर इण्डस्ट्रीयल भूमि हिसाब से सरकार द्वारा एक अन्डर ग्राउण्ड टैंक 50000 लीटर का रोड साइड पर बना कर वहां से 20000 वर्ग मीटर दायरे में आने बना दिए जाएं। उसका न्यूनतम चार्ज इण्डस्ट्रीज वालां से लेना चाहिए। इस तरह से हर 20000 वर्ग मीटर लैण्ड पर यह सुविधा उपलब्धता करा कर हम हर इण्डस्ट्रीज में वाटर होने वाले संसाधन को बचा सकते है। साथ ही विभागों प्रावधान भी पूरा कर सकते है। इससे न दो भूमिगत जल का दोहन होगा और न ही प्रदूषण फैलेगा इन टैंक के साथ – साथ वाटर hydrant सिस्टम भी होना चाहिए। जिससे हर 10 दिन बाद टैंक संचित जल को वापिस जमीन में डालने की सुविधा भी हो। ताकि इस्तेमाल न होने पर उसे बर्बाद होने से बचाया जा सके। यदि विभाग इस प्रक्रिया को अमल में लाता है तो बहुत सारी समस्याओं से उद्यमी को आराम मिल जायेगा और अग्रिम सुरक्षा को भी बढाया जा सकता है इसकी विस्तुत रूपरेखा भी जरूरत पड़ने पर हमारी संस्था आपको दे सकती है।

बैठक में एसपी ट्रैफ़िक राम मोहन सिंह, मुख्य अग्नि शामन अधिकारी चंद्र मोहन शर्मा, उद्यमी एसके सिंह, सुरेश सुन्दरानी, सतीश अग्रवाल, नीरज गोयल, राकेश धीरवानी, राजीव आनन्द,राजेन्द्र गुप्ता,मनोज पंजाबी, रतन शर्मा, राजेश गुप्ता, अभिनव अग्रवाल, उन्मुक्त सम्भव शील, डा. विनोद पागरानी, डा. अनुराग सक्सेना आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम संचालन विमल रिवाड़ी ने किया।


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Author: Telegram Hindi