ओ मेरे सोना रे सोना…..दे दूंगी जान जुदा मत होना रे

आरके गौड़

टेलीग्राम संवाद, बरेली। एसआरएमएस रिद्धिमा में रविवार शाम सुगम संगीत महफिल में मधुर तरानों के फूल महके। एक से से बढ़ कर एक मधुर गीतों को गायन विद्यार्थियों और गुरुओं साथ अतिथि कलाकारों ने अपने स्वरों में प्रस्तुत किया। हर गीत को श्रोताओं की तालियां मिलीं और हर पंक्ति पर वाह वाह।
सुगम संगीत की महफिल का आरंभ गायन विद्यार्थी अश्वत्थ कपूर ने फिल्म याराना सदाबहार गाने छूकर मेरे मन को, किया तूने क्या इशारा गाकर किया‌।

विद्यार्थी अर्णव कनौजिया ने फिल्म हाथी मेरे साथी, मोहब्बत के तराने ओ मेरे दिल के चैन को अपनी आवाज दी। नंदिता पाठक ने रजनीगंधा फिल्म हरदिल अजीज गीत रजनीगंधा फूल तुम्हारे यूं ही महके जीवन में, गौरी गोयल ने फिल्म तीसरी मंजिल गाना ओ मेरे सोना रे…, शालिनी पांडेय ने फिल्म खामोशी के गीत हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू को अपने स्वरों में पिरोकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर मोहब्बत की दुनिया में पहुंचा दिया।

अतिथि कलाकार डा. रीता शर्मा ने फिल्म चोरी चोरी मधुर गीत आजा सनम मधुर चांदनी में हम को प्रस्तुत किया तो एसआरएमएस ट्रस्ट शैक्षणिक संस्थानों के प्लेसमेंट सेल डायरेक्टर व गायन विद्यार्थी डा. अनुज कुमार ने फिल्म आनंद के प्रसिद्ध गाने कहीं दूर जब दिन ढल जाए को अपने स्वरों से सजाया। विद्यार्थी अंशुमा अग्रवाल ने फिल्म दिल अपना और प्रीत पराई के गाने अजीब दास्तां है ये, को अपनी आवाज दी। शालिनी पांडेय को गायन गुरु स्नेह आशीष दुबे का साथ मिला दोनों ने फिल्म बाजार गाने फिर छिड़ी रात बात फूलों की को प्रस्तुत किया। गायन गुरु प्रियंका ग्वाल ने फिल्म इंतहान के गाने रोज शाम आती थी और अतिथि इंदू परडल ने फिल्म सौतन की बेटी का प्रसिद्ध गाना ये जो हल्का हल्का सुरूर है को प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूत कर दिया। अपने वाद्ययंत्रों साथ इंस्ट्रूमेंटल गुरु उमेश मिश्रा (सारंगी/हारमोनियम), सूर्यकांत चौधरी (वायलिन), टुकमनी सेन (एकोर्डियन/हारमोनियम), सुमन बिस्वास (तबला), अमर नाथ (ढोलक), सूरज पांडेय (बांसुरी), हिमांश चंद्रा (गिटार), रॉनी फिलिप्स (सैक्सोफोन), सुरेंदर (कांगो) ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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