पवन सचदेवा
टेलीग्राम संवाद, सोनीपत। कुमाशपुर, दीपलपुर रोड स्थित श्री रजनीश ध्यान मंदिर में 5 नवंबर से चल रहे ‘अध्यातम के रहस्य’ विषय पर आधारित साधना शिविर भव्य समापन हुआ। इस शिविर में देश के विभिन्न प्रांतों से आए लगभग 75 साधकों ने भाग लिया।शिविर के दौरान ओशो अनुज स्वामी शैलेंद्र सरस्वती प्रतिदिन भगवान बुद्ध की भाती ही प्रातःकाल सभी साधकों को अपने साथ चक्रमण पर ले कर जाते, और चलते हुए ध्यान का अभ्यास करवाते थे। सूर्योदय का दृश्य देखने के बाद सूर्योदय ध्यान कर सभी साधक खेतों की हरियाली के बीच से गीत-संगीत का आनंद लेते हुए होशपूर्वक आश्रम लौटते थे।
सुबह सत्रों में स्वामी पवन और मां प्रेम आस्था द्वारा ओशो द्वारा निर्देशित डायनेमिक मेडिटेशन का प्रशिक्षण दिया जाता था, जो कि दबे हुए भावों के विसर्जन के माध्यम से साधकों को समाधि में पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है। दूसरे सत्र मे स्वामी मस्तो बाबा अध्यात्म उपनिषद के ओशो प्रवचनों पर आधारित ध्यान विधियों पर साधकों को अभ्यास करवाते थे। दोपहर के सत्र मे मां अमृत प्रिया और स्वामी शैलेंद्र सरस्वती द्वारा साधको के साधना से संभंधित प्रेश्नो के उत्तर दिये जाते थे।
संध्या सत्र मे मां मोक्ष संगीता द्वारा कुंडलिनी ध्यान और ऊर्जा जागरण के प्रयोग सिखाए जाते थे, जिससे साधकों को गहरी शांति का अनुभव होता था । शाम सात बजे का सत्र ओशो के संन्यासियों के लिए अत्यंत विशेष होता था, जबकि वेह सब श्वेत वस्त्रों में एकत्रित होकर अपने सतगुरु ओशो की याद मे कीर्तन पर नाचते-गाते, और फिर मौन में बैठकर सन्नाटे की ध्वनि में ओंकार का अनुभव करते हैं, जो उन्हें सतगुरु ओशो की दिव्य ऊर्जा से जोड़ता था।
रात्रि भोजन के बाद सभी साधक आश्रम में पुनः पद भ्रमण के दौरान अपनी सांसों का ध्यान करते हैं, जिसे भगवान बुद्ध ने ‘चक्रमण पद्धति’ कहा है। इसके बाद, वे गीत-संगीत, हंसी-मजाक और चुटकुलों की महफिल में शामिल होते हैं और ध्यानपूर्ण नींद में प्रवेश करते हैं।
इस शिविर की विशेष बात यह रही की यह साधना शिविर श्री रजनीश ध्यान मंदिर में पहली बार आयोजित किया गया, जिसमें ओशो द्वारा 1972 में माउंट आबू में दिए गए अध्यात्म उपनिषद के प्रवचनों मे दी गई ध्यान विधियों पर ही अभ्यास कराया गया। साधकों को इस ग्रंथ या उसके ऑडियो प्रवचनों के माध्यम से ध्यान साधना में गहराई प्राप्त करने का सरल मार्ग उपलब्ध हुआ है।
शिविर के अंतिम दिन मां अमृत प्रिया ने सात साधकों को उपहार भेंट किए, और सभी को प्रसाद का वितरण किया गया। बारह साधकों ने इस शिविर के दौरान ‘ओशो नव-संन्यास’ की दीक्षा ग्रहण की। इस पवित्र स्थल पर हर महीने दो बार इस तरह के साधना शिविर आयोजित होते हैं। ज्ञात हो कीअगले सप्ताह ओशो फ्रेगरेंस द्वारा आगामी साधना शिविर नेपाल के पोखरा में आयोजित किया, जिसका संचालन स्वयं स्वामी शैलेंद्र सरस्वती करेंगे।